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Mahishasur Mithak aur Paramparayen (Hindi)

Original price was: ₹350.00.Current price is: ₹315.00.

Description

Mahishasur Mithak aur Paramparayen Hindi Book Summary

प्रमोद रंजन के सम्पादन में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तक महिषासुर मिथक व परम्पराएं  प्रकाशित हुई है, जिसमें दुर्गा और महिषासुर के मिथकों पर एक जीवंत इतिहास की यात्रा मिलती है.

यह पुस्तक  पांच खंडों में विभाजित है, जो यात्रा वृतांत, मिथक व परम्पराएँ, आन्दोलन किसका, किसके लिए, असुर और साहित्य नाम से हैं, जबकि छठा खंड परिशिष्ट है, जिसमे महिषासुर दिवस से सम्बन्धित तथ्य दिए गए हैं. इस पुस्तक में सबसे महत्वपूर्ण खंड यात्रा वृतांत है, जिसमें प्रमोद रंजन ने इतिहास और पुरातत्व की नजर से सुदूर इलाकों में महिषासुर की खोज की है. यह बहुत ही दिलचस्प और रोमांचित कर देने वाला वृतांत है.

Mahishasur Mithak aur Paramparayen Hindi Book Summary

इस सम्बन्ध में नवल किशोर कुमार के ‘छोटानागपुर के असुर’ और अनिल वर्गीज के लेख ‘राजस्थान से कर्नाटक वाया महाराष्ट्र—तलाश महिषासुर की’ विशेष प्रकाश डालते हैं. इसमें एक अत्यंत महत्वपूर्ण लेख गौरी लंकेश का ‘महिषासुर : एक पुनर्खोज’ भी संकलित है. — कंवल भारती, दलित चिन्तक व आलोचक

महिषासुर अब एक कल्पना नहीं, वास्तविकता है। मेरे इस वक्तव्य का आधार यशस्वी लेखक और पत्रकार प्रमोद रंजन द्वारा संपादित ताजातरीन किताब ‘महिषासुर : मिथक और परंपराएँ’ है। सभी लेखों में महत्वपूर्ण जानकारी है या कहिए कुछ निश्चित जानकारी तक पहुँचने की ईमानदार कोशिश है। – राजकिशोर, पत्रकार व समीक्षक, दैनिक जागरण, 24 दिसम्बर 2017

महिषासुर मिथक व परम्पराएं पुस्तक के बारे में (फ्लैप से)

महिषासुर आंदोलन द्विज संस्कृति के लिए चुनौती बनकर उभरा है। आदिवासियों, पिछड़ों और दलितों का एक व्यापक हिस्सा इसके माध्यम से नए सिरे से अपनी सांस्कृतिक दावेदारी पेश कर रहा है। यह आंदोलन क्या है, बहुजनों की सांस्कृतिक परंपरा में इसका क्या स्थान है, इसके पुरातात्विक साक्ष्य क्या हैं? गीतों, कविताओं व नाटकों में महिषासुर किस रूप में याद किए जा रहे हैं और अकादमिक-बौद्धिक वर्ग को इस सांस्कृतिक आंदोलन ने किस रूप में प्रभावित किया है? इस आंदोलन की सैद्धांतिकी क्या है?

इस किताब ( Mahishasur Mithak aur Paramparayen Hindi Book ) में लेखकों ने इस संदर्भ में उठने वाले इस तरह के अधिकांश प्रश्नों का प्रकारांतर से उत्तर दिया है तथा विलुप्ति के कगार पर खड़े असुर समुदाय का नृवंशशास्त्रीय अध्ययन प्रस्तुत किया है। समाज-विज्ञान व सांस्कृतिक विमर्श के अध्येताओं, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं, साहित्य प्रेमियों व रंगमंच कर्मियों के लिए एक आवश्यक पुस्तक।

Additional information

Weight 0.200 kg
Dimensions 15 × 1 × 8 cm

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