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Buddhakalin Bharat – Dr. M L Parihar (Hindi)

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Description

Buddhakalin Bharat – Dr. M L Parihar Hindi Book Summary

कहा जाता है, साहित्य समाज का दर्पण होता है। साहित्य से किसी समाज व देश की सभ्यता, संस्कृति, धर्म, दर्शन, ज्ञान-विज्ञान, विकास को जाना जा सकता है। देश दुनिया में समय-समय पर सामाजिक, वैचारिक जाग्रति तथा स्वतंत्रता जैसे राष्ट्रीय आंदोलनों में साहित्य की अहम भूमिका रही है। तथागत बुद्ध से लेकर कबीर, रैदास की वैचारिक परंपरा साहित्य के माध्यम से ही जन-जन तक फैली और आज भी कामय है।

भारत की आजादी से पहले 18वीं, 19वीं सदी में कुछ युवा जिज्ञासु, खोजी, जुनूनी ब्रिटिश पुरात्वविदों ने फाहियान और हेनसांग के यात्रा विवरण के आधार पर भारत भूमि को खोदकर दबा हुआ बुद्ध इतिहास बाहर निकाला, संग्रहालयों में सुरक्षित रखा और लेखन में ढालकर अमिट कर दिया।

बुद्धकालीन भारत – डॉ. एम एल परिहार हिंदी पुस्तक ऑनलाइन ( Buddham Publishers )

भारत में उस दौर में सर अलेक्जेंडर कनिंघम, कार्लाइव, जॉन मॉर्शल, सर जेम्स प्रिन्सेप आदि ब्रिटिश अफसर पूरी कोशिश कर रहे थे लेकिन इनके बाद हिंदी में बौद्ध साहित्य का लेखन करने वाले बहुत कम मनीषी थे।

Buddhakalin Bharat – Dr. M L Parihar Hindi Book Online

इनमें महापंडित राहुल सांकृत्यायन, भिक्षु जगदीश कश्यप, भदंत आनंद कौसल्यायन, भिक्षु धर्मरक्षित, धर्मानंद कौशाम्बी, आर. जी. भंडारकर, आचार्य नरेन्द्रदेव, डॉ.बी.सी.लाहा, डॉ. भरतसिंह उपाध्याय, जगन्नाथ उपाध्याय, प्रो. ताराराम जैसे नाम प्रमुख है। डॉ. भरतसिंह उपाध्याय इसी दौर में उभरे हुए साहित्यकार थे जिन्होंने कई बौद्ध ग्रंथों की रचना की और लेखन कार्य द्वारा पालि बौद्ध साहित्य को विकसित किया।

बुद्धकालीन भारत – डॉ. एम एल परिहार हिंदी पुस्तक

इन्होंने उस दौर में यह सब हिंदी में लेखन किया जब बौद्ध साहित्य का लेखन व प्रकाशन करने वाले बहुत कम लोग थ, भारत में पालि को जानने समझने वाला कोई नहीं था, बौद्ध ज्ञान के प्रति देश में भारी उपेक्षा व उदासीनता थी। हिंदी के प्राध्यापक होने के बावजूद पालि व हिंदी दोनों भाषाओं में बुद्ध जीवन एवं वचनों को बहुत समर्पण व श्रद्धा के साथ लिखा और प्रचार-प्रसार किया।

बुद्धकालीन भारत – डॉ. एम एल परिहार हिंदी पुस्तक ऑनलाइन ( Book Summary Video )

डॉ. भरतसिंह उपाध्याय बौद्ध साहित्य के तीन विद्वानों से काफी प्रभावित थे-महापंडित राहुल सांकृत्यायन, भदंत आनंद कौसल्यायन और भिक्षु जगदीश काश्यप। वे सम्मान से इन्हें बौद्ध साहित्य के त्रिरत्न कहते थे और इन्हीं की प्रेरणा से डॉ. भरतसिंह ने अपनी महान रचना ‘बुद्धकालीन भारत का भूगोल’ लिखी थी।

उसकी भूमिका में इन तीन साहित्यरत्नों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की है। वैसे इस विचार को आगे बढाते हुए बौद्ध साहित्य के पंचरत्न में चौथे मिक्षु धर्मरक्षित और पांचवे डॉ. भरतसिंह उपाध्याय को सुशोभित करे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

डॉ. एम एल परिहार हिंदी पुस्तक ऑनलाइन – बुद्धकालीन भारत

डॉ. भरतसिंह उपाध्याय का जन्म 1 अगस्त 1915 को आगरा जनपद के फिरोजाबाद शहर के पास नागऊ ग्राम में हुआ था। बचपन से ही आप पढाई में बहुत होशियार थे। आगरा के पास मेदाकुर में इन्होंने प्राइमरी एजूकेशन और हायर सैकेण्डरी बापिस्ट मिशन स्कूल आगरा से पूरी की।

बुद्धकालीन भारत – डॉ. एम एल परिहार हिंदी पुस्तक

आगरा यूर्निवसिटी से एम.ए. किया। इसके बाद यहीं से ‘बुद्धकालीन ‘भारतीय भूगोल’ पर शोध कार्य किया, जिसपर आपको पी-एच.डी. को डिग्री से नवाजा गया। सन् 1960 में नवनालंदा महाविहार ने आपको मानद उपाधि डी. लिट. से सम्मानित किया।

Additional information

Weight 0.200 kg
Dimensions 12 × 3 × 5 cm

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